वैसे तो किसी भी प्रकार का मद (घमंड या अहंकार) व्यक्ति को कमजोर बनाता है।
लेकिन छात्र जीवन मे पिता के पैसे या पद का मद उसे कही का नही छोड़ता । न वह गुरुजनो को सम्मान देता है ना अपनी साथियों को।
छोटी छोटी गलतिया करते हुए एक दिन ऐसे कुचक्र में फंस जाते हैं कि उस दिन पिता अपने पुत्र को कोसता नजर आता हैं।
एक सर्वे के अनुसार स्कूल/कॉलेज में अपराधिक प्रवृत्ति में अधिकांशतया ऐसे छात्र ही लिप्त पाये जाते है जिनके पिता,अच्छे पद पर पदासीन है या जिनके पास अपार पैसा है।
ऐसे छात्र स्वय में कुछ नही होते न उनका शैक्षिक रिकॉर्ड अच्छा होता है लेकिन इतना अहंकार एवं घमंड उनमें भरा रहता कि स्वयं को महानायक से कम नही समझते है।
ऐसे छात्र हर प्रकार के व्यसनों में लिप्त पाए जाते हैं।
मदिरापान धूम्रपान का सेवन उनके लिए आम बात होती है।
लड़कियों के साथ कुतिस्स मित्रता एवं यौनाचार में लिप्तता जैसे कृत्यों को स्वय की सफलता समझते
है।
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